जोड़ते जोड़ते एक कहानी बन ही जाती है।
शेयरिंग यानी बांटना - बहुत जरुरी होता है ये सिखाना। यही कोशिश की ये कहानी सुनते वक़्त। अब असर कितना होता है ये तो वो ही जाने....
चुकचुक के दोस्त
एक छोटा सा बच्चा था चुकचुक नाम था उसका। वैसे तो वो बहुत प्यारा था, पर बहुत गुस्सा करता था, और दुसरे लड़ाई भी। कोई उसके साथ खेलना पसंद नहीं करता था. वो किसी को अपनी चीज़ें भी तो शेयर नहीं करता था। अब कोई उसके साथ खेलता नहीं था तो उसे बुरा भी लगता था। वो खेलना चाहता था सब बच्चो के साथ।
फिर एक दिन उसने आ के अपनी मम्मा से कहा, कोई मेरे साथ नहीं खेलता, कोई मेरा फ्रेंड नहीं है। मुझे भी दुसरे बच्चो के साथ खेलना है। उसकी मम्मी को ये पता था की दुसरे बच्चे उसके साथ क्यों नहीं खेलते। उन्होंने चुकचुक से कहा अगर तुम मेरी बात मानोगे तो सब बच्चे तुम्हारे साथ खेलेंगे।
फिर मम्मा ने फ्रिज में से चुकचुक की toffees का पैकेट निकला और बोला की अगर तुम्हे दुसरे बच्चो के साथ खेलना है तो तीन चीज़ें करनी होंगी - एक तो तुम किसी पे गुस्सा नहीं करोगे और cheerful रहोगे, दूसरा बाकी बच्चो की बात मानोगे और मिल के खेलोगे और तीसरा, अपनी toffees सबके साथ शेयर करोगे। फिर मम्मा उसको ले के पार्क गयींजहाँ बच्चे खेल रहे थे। उन्होंने उससे कहा, जाओ और प्यार से स्माइल करते हुए सबको हेलो बोलो और प्लीज बोल के कहो की तुमको भी अपने साथ खेलने दें।
चुकचुक बच्चो के पास गया और बोला, प्लीज मुझे भी खिला लो। सब बच्चो ने देखा की चुकचुक तो अच्छे से बात कर रहा है, तो उन्होंने उसे अपने पास बुला लिया और साथ खेलने लगे। फिर चुकचुक ने सबके साथ toffees भी शेयर की। उसको बहुत अच्छा लगा। खेलते खेलते चुकचुक को प्यास लग गयी। उसने सब बच्चो से कहा, मुझे प्यास लगी है, पानी पी के आता हु घर से। तो एक बच्चे ने कहा, अरे चुकचुक घर जाने की क्या जरुरत है, मेरे पास बोतल है न, आओ पी लो। चुकचुक को समझ में आ गया की अगर वो सबके साथ शेयर करेगा, तो सब बच्चे भी उसके साथ शेयर करेंगे। अगर वो प्यार के बोलेगा तो सब उसके साथ प्यार से बोलेंगे। अब चुकचुक खुश था।
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